hindisamay head


अ+ अ-

कविता

खामोशी

आरती


खामोशी, मुझे कचहरी सी लगती है
जहाँ तफ्तीश तर्क बहस
कभी कभी निर्णय
और सजा भी निर्धारित होती है
यहाँ खुद को
बाइज्जत बरी नहीं किया जा सकता


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में आरती की रचनाएँ