खामोशी, मुझे कचहरी सी लगती हैजहाँ तफ्तीश तर्क बहसकभी कभी निर्णयऔर सजा भी निर्धारित होती हैयहाँ खुद कोबाइज्जत बरी नहीं किया जा सकता
हिंदी समय में आरती की रचनाएँ